जेएनयू मेस अर्जेन्ट नोटिस:- भयंकर गर्मी और चूहे द्वारा फ्रिज का तार काट दिए जाने की वजह से दूध खराब हो गया है. इसलिए आज लंच में दही नहीं दिया जा सकेगा. असुविधा के लिए क्षमा करें. गाली न दें – गरीब और लाचार मेस मैनेजर
प्रतिक्रिया:-
एबीवीपी (बीजेपी की स्टुडेंट्स बौडी) – येल्लो साला… इस देश में अब दही खाना भी दुर्लभ है. इन चोर कॉंग्रेसियों और कंगले कम्यूनिस्टों के राज में यही होगा. दही खाके दोपहर में कितना अच्छा नींद आता था. साला मूड अपसेटिया दिया.
एन एस यू आई (कौंग्रेस की स्टुडेंट्स बौडी) – शुरू से कहते थे कि एन एस यू आई को वोट दो तो डीप फ्रीजर लगवा देंगे और लंच में मदर डेयरी का दही भी देंगे. वैसे भी राहुल गाँधी जी कहते हैं कि देश के युवाओं को खूब दही खिलाओ.. वही दही नहीं खायेंगे तो देश का विकास कैसे होगा?
आइसा, एसएफआई और कम्यूनिस्ट संगठन – इसके पीछे मनुवादियों पूंजीवादियों और ब्राह्मणवादी जेएनयू प्रशासन का हाथ है. वे नहीं चाहते कि पिछड़ों, दलितों और माइनोरिटीज को दही मिले. सिंगूर से लेकर नंदीग्राम और कालाहांडी से लेकर गाजा पट्टी तक इसी तरह छात्र, किसानों, मजदूरों पर अत्याचार हो रहा है. दही बांटने में आरक्षण लागू करो..
आम (चिरकुट) छात्र – मेस सेक्रेटरी कौन है रे?? मार साला को..
anupkidak says
हमारी प्रतिक्रिया आम छात्र की है लेकिन यह कहते हुये -जरा बचा के कहीं ज्यादा न लगे। 🙂
Satish says
हमारी भी.. 😉