अगर कोई आपसे पूछे कि ‘ये ब्लॉग क्या होता है ‘ तो उसे बेवकूफ या तकनीकी रूप से पिछड़ा हुआ मत समझिए (अगर आपको खुद भी यह पता नहीं कि ब्लॉग क्या होते हैं तो खुद को भी कमतर न समझें). गूगल के अपने आंकड़ों के अनुसार फ्रेज “What is a blog” गूगल पर औसतन… Continue Reading …
इतने गिरे तो न थे हम
न्यूज़पेपर का आधा काम आजकल फेसबुक कर देता है. उस दिन जब फेसबुक पर कई लोगों के अपडेट्स में गुवाहाटी के बारे कुछ आ रहा था. लगा कि कुछ हुआ होगा. छेड़छाड़ वगैरह की न्यूज कोई बड़ी बात कहाँ रह गयी है अपने देश में. पर फिर बार बार बात का जिक्र आते देख लगा… Continue Reading …
ब्लॉगिंग नए सिरे से
ब्लॉगिंग करीब पांच साल पहले शुरू की थी. ऐसे ही शौकिया. वो शौकिया ही चला लगभग अब तक. कितने ब्लॉग कहाँ-कहाँ बना रखे हैं खुद भी याद नहीं. और सब ऐसे ही फालतू. अधिकांश में दो-चार उल्टी-सीधी चीजें डाल के छोड़ी हुई हैं. जिनपर कुछ ज्यादा पोस्ट भी हैं वो भी चलताऊ टाइप की. कम… Continue Reading …
बच्चों की हाइट को लेकर ऑबसेस्ड कोरियाई मम्मियां
कोरियाई भाषा में एक कहावत है “작은 고추가 맵다 (छागन खोच्छुगा मैप्ता)” जिसका मतलब होता है कि ‘छोटी मिर्ची ज्यादा तीखी होती है’. इस कहावत का प्रयोग लम्बाई-चौड़ाई में छोटे व्यक्ति को हल्के में नहीं लेने के अर्थ में होता है. पर आजकल कोरिया में इस कहावत पर से लोगों का विश्वास उठ गया है.… Continue Reading …
नागार्जुन का काव्य शिल्प – अंतिम भाग
पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा और पांचवां भाग भी पढ़ें …… नागार्जुन पर यह आरोप अक्सर लगाया जाता रहा है की अपनी कविताओं में वे छंद और शिल्प के प्रति उदासीन हैं।सबसे पहले हमें यह देखना चाहिए की यह उदासीनता भाषा और शिल्प की अज्ञानता के कारण है या जानबूझकर अपनाई गयी है। नागार्जुन हिन्दी के अलावा संस्कृत, पाली, प्राकृत,… Continue Reading …
बाबा नागार्जुन का काव्य संसार – भाग ५
प्रस्तुत है “नागार्जुन का काव्य संसार” श्रृंखला की वह कड़ी जिसका नागार्जुन के प्रशंसकों को शायद सबसे ज्यादा इंतज़ार होगा- बाबा नागार्जुन की व्यंग्यप्रधान कविताओं की चर्चा। पोस्ट थोड़ी बड़ी ज़रूर है पर विश्वास कीजिए एक बार पढ़ना शुरू करने के बाद आप अंत तक पढेंगे। तो आइये शुरू करें — ( पर उससे पहले… Continue Reading …
बाबा नागार्जुन का काव्य संसार – भाग ४
इस भाग को पढने से पहले इस श्रृंखला का पहला, दूसरा और तीसरा भाग पढ़ें। इस भाग में नागार्जुन की कविताओं में आर्थिक यथार्थ और राष्ट्रीयता की भावनाकी चर्चा होगी। नागार्जुन के काव्य में आर्थिक यथार्थ नागार्जुन स्वयं हमेशा गरीबी और बेकारी से त्रस्त रहे। इसलिए उनकी कविताओं में गरीबी, आर्थिक वैषम्य आदि को काफी… Continue Reading …
बाबा नागार्जुन का काव्य संसार – भाग ३
आपने बाबा नागार्जुन श्रृंखला का पहला और दूसरा भाग पढा। दूसरे भाग में हमने उनकी रागबोध की कविताओं पर चर्चा की थी। इस भाग में उनकी यथार्थ परक कविताओं पर चर्चा होगी। इस भाग में हम सिर्फ़ बाबा की सामाजिक यथार्थ का वर्णन करती कविताओं को देखेंगे। अगले भाग में आर्थिक यथार्थ राष्ट्रप्रेम और फ़िर व्यंग्यात्मक कविताएँ। यथार्थपरक कविताएँ बाबा… Continue Reading …
बाबा नागार्जुन का काव्य संसार – भाग २
पिछली पोस्ट में आपने बाबा नागार्जुन का काव्य संसार – पहला भाग पढा। अब प्रस्तुत है इस श्रृंखला का दूसरा भाग। इसमें हम नागार्जुन की रागबोध की कविताओं पर चर्चा करेंगे।नागार्जुन की कविताओं कों हम मुख्यतः चार श्रेणियों में रख सकते हैं। पहली, रागबोध की कविताएँ जिनमें प्रकृति-सौंदर्य और प्रेम कविताओं कों रखा जा सकता है। दूसरी, यथार्थपरक कविताएँ जिनमें सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक यथार्थ कों दर्शाती कविताएँ हैं। तीसरे, राष्ट्रीयता से युक्त कविताएँ और चौथे व्यंग्य प्रधान कविताएँ।… Continue Reading …
बाबा नागार्जुन का काव्य संसार – भाग १
जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में बीए करने के दौरान हिन्दी कविता का एक ऑप्शनल कोर्स लिया था. उसमें एक पेपर प्रेजेंट करना था किसी आधुनिक कवि के ऊपर. तो मैंने इसके लिए बाबा नागार्जुन को चुना था और जो पेपर मैंने बनाया और प्रेजेंट किया था उसे यहाँ इस ब्लॉग पर डाल रहा हूँ. साहित्य… Continue Reading …
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