भारत एक शायरी प्रधान देश है. यहाँ लड़के-लड़कियाँ देश के राज्य-राजधानियों के नाम बाद में सीखते हैं, शेरो-शायरी पहले. काम की चीज है भाई. जहाँ सब लोग अपना लंबा-चौड़ा ज्ञान पेल रहे हों वहाँ एक ज़ोरदार शेर ठेल दो. पूरा भोकाली बन जाता है. मूर्ख लोग इतिहास, राजनीति शास्त्र, विज्ञान वगैरह पढ़ते हैं; अकलमंद शेरो-शायरी.… Continue Reading …
टर्किश लैंगुएज सेल्फ स्टडी – तुर्की भाषा अल्फाबेट
जेएनयू में कोरियन लैंगुएज से बीए करते हुए टर्किश/तुर्की भाषा का ऑप्शनल कोर्स लिया था. दो सेमेस्टर तक पढ़ा था, हफ्ते में एक क्लास; मतलब कुल मिलाकर 30-35 क्लासेज. किसी भाषा को सीखने के लिए 30-35 क्लासेज बहुत ज्यादा नहीं हैं और फिर जो तुर्की से टीचर आये थे उनकी अंग्रेजी माशाअल्लाह थी.
लव एट डिनर टेबल
समर वेकेशन में कैम्पस में कम ही लोग है फिर भी आज रेस्टॉरेंट में थोड़ी भीड़ थी. दो-चार टेबल्स ही खाली थीं. मैं एक दो सीट वाली टेबल पर बैठ गया. चार सीट वाले टेबल पर अकेले बैठना अजीब लगता है. वेटर अंग्रेजी वाला स्पेशल मेन्यू कार्ड टेबल पर रख गया. वो हर बार यही… Continue Reading …
तुम सब चोरी करो डकैती हम मंत्रियों पर छोड़ दो
मीडिया वालों को आदत हो गयी है बेचारे नेताओं को परेशान करने की. अभी कल अपने यूपी के पीडब्ल्यूडी वाले मंत्री शिवपाल जादो का तीन तेरह कर दिया. बेचारे की गलती इतनी थी कि अफसरों की मीटिंग में बोल दिया कि चोरी करो लेकिन मेहनत कर के. और हाँ डकैती मत करो. अब इसमें क्या गलत… Continue Reading …
एक हाथ में लोटा दूसरे में मोबाइल
कोई कुछ भी कहे, ये केन्द्र सरकार है बड़ी हाईटेक. इसकी ईमानदारी और देश के प्रति चिंता के बारे में तो कुछ कहना भी सूरज को लालटेन दिखाने जैसा है. अभी एक-दो साल पहले सिब्बल लाल बोले थे कि गाँव-गाँव शहर-शहर में टैबलेट बंटवा देंगे. पहले तो मजदूर-किसान खुश हो गए कि चलो अब बीमारी… Continue Reading …
एक साल में एमबीए और दस मिलियन डॉलर
गर्मी की छुट्टी चल रही है आजकल. डेली रूटीन का पूरा मामला तो अपने देश के सिस्टम जैसा हो गया है. कब सोना है कब खाना है सब मन की मर्जी पर. खैर ऐसे दिनों का भी आनंद लेना चाहिए फिर पता नहीं ऐसा वक्त मिले या नहीं. तो आज सोकर उठे 11 बजे. जल्दी सोकर… Continue Reading …
अन्ना आंदोलन के मायने
अन्ना के जनलोकपाल आंदोलन का मैं शुरू से ही गंभीर समर्थक रहा हूँ. पर अंध समर्थक नहीं. इस मुद्दे के कई पहलुओं पर गंभीरता से सोचता रहा हूँ. लोगों को सुनता रहा हूँ. आन्दोलन के कट्टर आलोचकों को भी और लालू और मनीष तिवारी जैसों को भी. इस पूरे आंदोलन से यह उम्मीद तो मुझे… Continue Reading …
बाजा और ज़िंदगी- मीडियम वेब से एफएम तक
रेडियो कम ‘बाजा’ ज्यादा कहते थे. शहरी लोग बचपन को याद करते हैं तो मिकी माउस कार्टून और मारियो गेम की बात करते हैं. मुझे बाजा याद आता है. रेडियो को अलग कर गाँव के दिनों के बारे में नहीं सोचा जा सकता. जिंदगी से बड़े गहरे तक जुड़ा रहा है यह यंत्र. कितनी सारी… Continue Reading …
विदेशी महिलाओं के प्रति भारतीय पुरुषों का नजरिया
अभी बीबीसी पर एक खबर पढ़ी कि चीन सरकार के निमंत्रण पर वहाँ गये भारतीय युवाओं के एक दल के कुछ लड़कों और अपने दल और चीन की लड़कियों के साथ छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार किया. अब ये बीबीसी वाले भी किसी भी चीज को बड़ी न्यूज बनाकर छाप देते हैं. भारतीय लड़कों द्वारा छेड़छाड़ और… Continue Reading …
क्यों बनाएँ अपना ब्लॉग – 5 कारण
आप इंटरनेट पर अपने दिन का अच्छा-खासा समय बिताते हैं. कई सारे ब्लॉग्स और वेबसाइट्स सर्फ़ करते हैं. फेसबुक और ट्विटर पर भी मस्ती करते हैं. फिर ब्लॉग क्यों? क्या जरुरत है ब्लॉगिंग की? आप सैकड़ों ब्लॉग देखते हैं अलग अलग सब्जेक्ट्स पर जिन्हें नहीं के बराबर लोग पढते हैं. फिर क्यों अपना समय बर्बाद… Continue Reading …
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