वह बड़ी देर से खड़ा है बस स्टॉप पर.. बाएं हाथ में छाता.. दायें में एक भारी सा बैग. वह बार बार दूर से आती हुई सड़क की ओर देखता है.. वैसे सड़क आती हुई है या जाती हुई, कहना मुश्किल है.. शायद वह रुकी हुई है.. हाँ तो वह रुकी हुई सड़क को देखता है.. मैं अनुमान लगाता हूँ कि वह आती हुई बस को देखना चाह रहा है.. लेकिन यह बस मेरा अनुमान ही है.. हो सकता है वह टैक्सी या फिर किसी और चीज का इंतज़ार कर रहा हो.. शायद किसी अपने का..
बेसब्री उसके चेहरे से झलक-झलक पड़ती है.. बेसब्री या चिड़चिड़ापन.. कहना मुश्किल है.. हल्की बारिश हो रही है.. वह बीच-बीच में आसमान की ओर भी देख लेता है. पर मेरा अनुमान है कि आसमान से किसी चीज के आने का इन्तजार नहीं है उसे.. शायद जिस चीज का इंतज़ार है उसका आसमान से कोई सम्बन्ध हो.. उसका चिड़चिड़ापन उस आने वाली चीज के लिए है या आसमान के लिए यह भी समझना आसान नहीं है..
अभी-अभी एक टैक्सी गुजरी है.. टैक्सी वाले ने उसके पास आकर रफ़्तार थोड़ी धीमी की थी.. फिर आगे बढ़ गया था.. शायद उसे लगा हो कि जिसका इंतज़ार किया जा रहा है वह वही है.. ऐसा लगना बहुत आसान है. हमें अक्सर ऐसा लगता है.. खैर, इससे यह बात तो साफ़ हो गयी कि वह टैक्सी का इंतज़ार नहीं कर रहा था. फिर शायद बस का? या किसी और चीज का?
अब वह बेचैनी से इधर-उधर टहलने लगा है. बस-स्टॉप के आसपास के क्षेत्र में बेचैनी को महसूस किया जा सकता है. अब वह घड़ी भी देखने लगा है बीच-बीच में. –उसके होंठ हिल रहे हैं बीच-बीच में.. शायद वह बीच में खुद से कुछ बोल रहा है. हो सकता है वह प्रार्थना कर रहा हो.. हो सकता है गाली दे रहा हो.. पर किसे? जिसका वह इंतज़ार कर रहा है? या खुद को.. या खुदा को… नहीं, नहीं.. खुदा से तो प्रार्थना कर रहा था.. नहीं कर नहीं रहा था.. सिर्फ मैंने सोचा था कि शायद कर रहा हो…
अचानक वह सीधा खड़ा हो जाता है और एक बार फिर दूर सड़क की ओर देखता है. इस बार वह ज्यादा देर तक देखता है… सड़क पर कुछ नहीं है.. किनारे फुटपाथ पर एक लड़की चलती आ रही है. सुन्दर सी.. चेहरे पर कोई भाव नहीं.. हाथ में एक थैला.. वह लड़की को अजीब सी नजरों से देखता है.. शायद चिढ़ है उसके चेहरे पर.. वह सड़क के दूसरे छोर की ओर देखता है.. एक पल ठिठकता है… फिर तेज क़दमों से उस ओर चल पड़ता है… अब उसके चेहरे पर निश्चय के भाव हैं.. साथ में थोड़ी चिढ़ के भी..
लड़की आकर बस स्टॉप पर रुक जाती है.. वह भी दूर सड़क की ओर देखती है.. उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं है.. एक बार वह सड़क के दूसरे छोर की ओर देखती है.. जाते हुए लड़के की ओर.. सड़क के दूसरे छोर से एक बस आ रही है.. लड़की आवाज सुनकर उस ओर देखती है… उसके चेहरे पर इत्मीनान के भाव आ जाते हैं.. बस लगभग स्टॉप तक पहुँचने वाली है.. सड़क के दूसरे छोर से लड़का वापस दौड़ता हुआ आ रहा है.. वह तेज दौड़ रहा है. लड़की बस में चढ़ गयी है… लड़का अभी थोड़ी दूर है.. शायद उसे बस का ही इंतज़ार था… बस आगे बढ़ जाती है.. शायद उसे नहीं पता कि कोई उसका इंतज़ार कर रहा था.. कि कोई उसके लिए वापस आ रहा है..
अनूप शुक्ल says
बड़ी महीन नजर से सब कुछ देख रहे हैं.
अच्छा चित्रण.
Satish says
धन्यवाद